दुनिया भर रै मांय 691 मिलियन सूं बेसी लोग हिंदी बोलै है। आ भारत री राजभासावां मांय सूं एक है अर देस रै न्यारै-न्यारै भागां मांय खासकर उत्तरी अर मध्य क्षेत्रां मांय इणरो प्रयोग घणौ प्रचलित है। भारत रै मांय इणरै व्यापक उपयोग रै अलावा, हिंदी नै संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा अर दूजा देशां रै मांय भारतीय समुदाय भी बोलै है।
दुनिया भर में 691 मिलियन से ज़्यादा लोग हिंदी बोलते हैं। यह भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है और देश के कई हिस्सों में, खास तौर पर उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। भारत में इसके व्यापक उपयोग के अलावा, हिंदी संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई अन्य देशों में भारतीय समुदायों द्वारा भी बोली जाती है।
Moreदूजी कानीं, मारवाड़ी भासा नै करीब 7-8 मिलियन लोग बोलै है, खासकर भारत रै राजस्थान क्षेत्र रै मांय। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा अर मध्यप्रदेश जैड़ा राज्यां रै साथै-साथै पाकिस्तान, अमरीका अर यूनाइटेड किंगडम जैड़ा देशां रै मांय मारवाड़ी समुदायां रै द्वारा भी आ भाषा व्यापक रूप सूं बोली जावै है।
दूसरी ओर, मारवाड़ी भाषा लगभग 7-8 मिलियन लोगों द्वारा बोली जाती है, मुख्य रूप से भारत के राजस्थान क्षेत्र में। यह गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के साथ-साथ पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भी मारवाड़ी समुदायों द्वारा व्यापक रूप से बोली जाती है।
Moreमारवाड़ी राजस्थानी भासा समूह री एक बोली है, जो इंडो-आर्य भासा परिवार में आवै है। इणरी एक न्यारी सबदावली अर व्याकरण है जिको इणनै हिंदी सूं न्यारो करै है। मारवाड़ी रै मांय अनूठी विशेषतावां, मुहावरा अर तान गुण भी है जिका इणनै हिंदी सूं अलग करै है।
मारवाड़ी राजस्थानी भाषा समूह की एक बोली है, जो इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित है। इसकी एक अलग शब्दावली और व्याकरण है जो इसे हिंदी से अलग करता है। मारवाड़ी में अनूठी विशेषताएं, मुहावरेदार अभिव्यक्तियाँ और स्वर गुण भी हैं जो इसे हिंदी से अलग करते हैं।
Moreहिंदी देवनागरी लिपि रै मांय लिखी जावै है, जिणरो प्रयोग विभिन्न भारतीय भाषावां रै मांय है। मारवाड़ी भी घणकरी बार देवनागरी लिपि में ही लिखी जावै है, पण इतिहास री दृष्टि सूं आ महाजनी लिपि में भी लिखी जावै है, जिणरौ खासतौर सूं व्यापारी व्यापार अर लेखा-जोखा रै काम में बरतता हा।
हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न भारतीय भाषाओं में व्यापक रूप से किया जाता है। मारवाड़ी भी मुख्य रूप से देवनागरी लिपि में लिखी जाती है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से, इसे महाजनी लिपि में भी लिखा जाता था, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से व्यापारियों द्वारा व्यापार और लेखा उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
Moreभासाई भेदां रै बावजूद हिंदी अर मारवाड़ी संस्कृतियां मांय घणी समानतावां है। दोनूं संस्कृतियां पारिवारिक बंधन, बडेरां रो सम्मान अर दिवाली अर होली जैड़ा पारंपरिक त्यौहारां नै मनाबा नै घणो महत्व देवै है। दोनूं समाजां रै मांय मेहमाननवाजी रो घणो महत्व है, अर मेहमानां रै साथै गर्मजोशी, उदारता अर श्रद्धा सूं व्यवहार करियो जावै है।
भाषाई अंतरों के बावजूद, हिंदी और मारवाड़ी संस्कृतियों में कई समानताएँ हैं। दोनों संस्कृतियाँ पारिवारिक बंधनों, बड़ों के प्रति सम्मान और दिवाली और होली जैसे पारंपरिक त्योहारों के उत्सव को महत्वपूर्ण महत्व देती हैं। दोनों समाजों में आतिथ्य को बहुत महत्व दिया जाता है, जहाँ मेहमानों का गर्मजोशी, उदारता और श्रद्धा के साथ स्वागत किया जाता है।
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